झेलम का युद्ध (सिकन्दर और पोरस के बीच ) \पोरस की हार के कारण/ सिकन्दर की विजय के कारण
झेलम का युद्ध ~ झेलम का युद्ध 326 Bc में यूनानी शासक सिकन्दर तथा तत्कालीन पंजाब के शासक पोरसके मध्य करी के मैदान (बर्तमान पाकिस्तान) में लड़ा गया।
युद्ध के कारण~
1 सिकंदर का विश्व विजय अभियान।
2 भारत की राजनीतिक फूड।
3 पोरस द्वारा अभियान स्वीकार करने से इंकार।
तुलनात्मक सैन्य शक्ति ~सर् डब्ल्यू टार्न ने नवीन अध्ययन के आधार पर बताया है कि पोरस की सेना में 4000 अस्वारोही, 300 रथ,200हाथी और 30,000 पैदल सैनिक थे।जबकि सिकन्दर ने 53,000 अस्वारोही सेना औऱ लगभग 15,000 पैदल सेना थी।
सिकन्दर द्वारा झेलम नदी पार करना ~ सिकन्दर में अपने शिविर से 16 मील दूर नदी का एक छिछला स्थान खोज लिया, एक चौथाई सेना शिविर में छोड़कर सिकन्दर की शेष सेना रात्रि के समय छिछले स्थान(भून)से झेलम नदी के दूसरी ओर जा पहुंची और पोरस को इसकी भनक तक न लगी।
सिकन्दर की युद्घ योजना~ प्रारम्भ में सिकन्दर की योजना यह थी कि फेलेक्स और कोयनस सम्मुख आक्रमण करके उचित समय पर केटनसकी डाइवर्स नली फ़ोर्स पृष्ठ से पोरस की सेना पर आक्रमण करेगी।
परन्तु पोरस की चतुरंगनी सेना ने सबसे आगे हाथियों द्वारा पैदल सेना को कबर किये जाने के करण सिकन्दर को युद्ध योजना में संशोधन करना पड़ा।
सिकन्दर की संशोधित युद्ध योजना~ इसके अनुसार अपने दाये भाग के अस्वरोही धनुर्धरी द्वारा आगे बढ़कर पोरस के बाए भाग के अस्वरोही वाण वर्षा करके उनको वहा से हटाए गी जैसे ही पोरस अपने दाये भाग से बाए भाग को अस्वरोही सपोर्ट भेजेगा उसी समय कोयनस अस्वरोही टर्निंग मोमेंट लेकर पोरस के लेफ्ट के वाली सेना पर पृष्ठ अटैक करेगा।इसके साथ ही फेलेक्स आगे बढ़कर पोरस की हाथियों पर पैदल सेना का आक्रमण करेगा उचित समय पाकर कैटरस नदी पार कर पृष्ठ पर आक्रमण करेगा साथ ही पहल सिकन्दर को करनी थी।
वास्तविक संग्राम~ जब दोनों की भेट करी के मैदान मेंहुई तो सिकन्दर ने पोरस की व्यूह वद्ध खड़ी सेना को देखकर आश्चर्य चकित होकर कहा "आखिर आज वह खतरा आ गया जो मेरे साहस को ललकार रहा है आज का सग्राम एक साथ जंगली जन्तुओ और असाधारण पोरस के विरुद्ध है"
सिकन्दर ने सबसे पहले पोरस के बाएं भाग पर अस्वरोही धनुर्धरो से आक्रमण किया।पोरस ने दाये पछ की सेना को बाये भाग की मजबूती देने के लिए लगया तभी सिकन्दर ने कोयनस के नेतृत्व में अस्वरोही सेना द्वारा पोरस के दाये पछ पर भी आक्रमण कर दिया। जैसे ही पोरस ने हाथियों को बढ़ाया सिकन्दर की पैदल सेना ने हाथियों पर आक्रमण करके उनके महावतों को मार डाला जिससे हाथियों में भगदड़ मच गई वह अपनी ही सेनाओं को कुचलने लगे।
ऐसे में केटनस के नेतृत्व में नदी के उस पार वाली सेना ने नदी को सीधे पार कर पोरस की सेना पर पीछे से आक्रमण कर दिया। युद्ध के दौरान बर्षा होने से पोरस के रथ और धनुर्धर अपनी क्षमता का उपयोग न कर सके। घमासान युद्ध मे पोरस की पराजय हुई और उसे बंदी बनाकर सिकन्दर के समक्ष लाया गया।
परिणाम~ 1 पोरस की हार हुई।
2 पोरस के जवाब से प्रसन्न होकर सिकंदर ने अपने नाम पर पोरस को पुनः शासन करने की छूट दी।
3 सिकन्दर की सेना ने भारतीयों को इस चुनौती के बाद घबराकर आगे बढ़ने से इंकार कर दिया, परिणाम स्वरूप सिकन्दर की विश्व विजय का अभियान समाप्त हो गया।
सिकन्दर के जीत के कारण~ 1 सिकन्दर योग्य सेनानायक था।
2 सिकन्दर द्वारा युद्ध के सिद्धांत का पालन करना।
3 सिकन्दर के योग्य कमांडर थे।
4 कवच पूर्व सेना थी।
5 सिकन्दर की सेना का उचित समय पर केन्द्रीकरण।
6 सिकन्दर की सेना में गतिशीलताऔर लोचता।
7 सिकन्दर द्वारा आक्रमण कि पहल करना।
पोरस की हार के कारण~
1 आक्रमण की पहल न करना।
2 भाग्य की प्रतिकूलता (बारिश कीचड़ )।
3 पोरस की मार्च और काउंटर मार्च के समय लापरवाही।
4 सिकंदर की सेना का आकलन नही कर पाना।
5 रिजर्व सेना का ना होना।
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Super bhai
ReplyDeleteNice sir #osm
ReplyDeleteMast
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